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वाराणसी-गोरखपुर में राशन ATM पायलट प्रोजेक्ट विफल, मशीनें जंग खा रहीं हैं

वाराणसी-गोरखपुर में राशन ATM पायलट प्रोजेक्ट विफल, मशीनें जंग खा रहीं हैं

वाराणसी और गोरखपुर में तीन साल से चल रहा राशन एटीएम पायलट प्रोजेक्ट, अधिकारियों की उदासीनता और व्यवस्थागत कमियों के कारण विफल रहा।

वाराणसी और गोरखपुर में पिछले तीन वर्षों से चलाया जा रहा राशन एटीएम पायलट प्रोजेक्ट अब पूरी तरह विफल हो गया है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन साल पहले स्थापित मशीन सदर तहसील में जंग खा रही है और उपभोक्ताओं को इसके माध्यम से राशन लेने की सुविधा नहीं मिल रही है। अधिकारियों की उदासीनता और व्यवस्थागत कमियों ने इस परियोजना की सफलता को बाधित कर दिया है। गोरखपुर में भी इसी प्रकार की मशीन बिजली बिल संबंधी समस्याओं के चलते बंद पड़ी है, जिससे स्थानीय लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।

तीन साल पहले वाराणसी में स्थापित राशन एटीएम योजना के तहत यह दावा किया गया था कि इससे उपभोक्ताओं को कोटेदार की दुकान पर जाने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि मशीन न तो चालू हुई और न ही इसके संचालन के लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था की गई। मशीन के आसपास जमा अनाज और जंग लगे उपकरण इस विफल परियोजना की कहानी बयां कर रहे हैं। गोरखपुर में 2023 में स्थापित अन्नपूर्ति मशीन भी इसी समस्या से जूझ रही है।

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम और मेक इन इंडिया की पहल के तहत 31 अक्टूबर 2022 को वाराणसी के शिवपुर में यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। गुरुग्राम के बाद वाराणसी और गोरखपुर में यह मशीन लगाई गई थी ताकि उपभोक्ताओं को कोटेदार की दुकान पर जाने की आवश्यकता न हो। कोटेदार बृजमोहन प्रसाद मौर्य के अनुसार मशीन संचालन की कोई तैयारी नहीं थी और न ही स्पष्ट गाइडलाइन दी गई थी। मशीन की ऊंचाई और जटिल प्रक्रिया के कारण इसे अकेले संभालना मुश्किल था और अतिरिक्त मजदूर की व्यवस्था के लिए कोई भी तैयार नहीं था।

मई-जून 2023 में जी-20 शिखर बैठक की तैयारियों के दौरान केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने वाराणसी की शिवपुर मशीन को सार्वजनिक स्थल पर लगाने का निर्देश दिया, ताकि आम लोग इसका स्वतंत्र रूप से उपयोग कर सकें। इसके बावजूद मशीन सदर तहसील में रखी गई और अब तक चालू नहीं हुई।

गोरखपुर में भी कोटेदार अंकुर गुप्ता ने मशीन संचालन से हाथ खड़े कर दिए। बिजली बिल की ऊंची राशि और विभागीय नियमों के कारण मशीन लंबे समय तक बंद रही। जिला पूर्ति अधिकारी रामेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि मशीन से प्रति माह 100 कार्डधारकों को राशन दिया जाता है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि लंबे समय से किसी ने इसे उपयोग नहीं किया।

वाराणसी के उपभोक्ता प्रदीप कुमार मौर्य और मीनाक्षी ने बताया कि मशीन से काफी सहूलियत मिलती थी और राशन कार्ड नंबर और अंगूठा लगाकर राशन प्राप्त करना आसान था। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाएं बनाती हैं, लेकिन उनका संचालन करने वाले जिम्मेदार इसे सफल नहीं कर पा रहे हैं।

इस तरह, तीन साल से जारी यह पायलट प्रोजेक्ट अपने उद्देश्य में विफल रहा और स्थानीय उपभोक्ताओं को अपेक्षित सुविधा नहीं मिल पाई।

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