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वाराणसी में महाभैरवाष्टमी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, बाबा लाट भैरव ने दिए बाल स्वरूप दर्शन

वाराणसी में महाभैरवाष्टमी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब, बाबा लाट भैरव ने दिए बाल स्वरूप दर्शन

वाराणसी में महाभैरवाष्टमी पर बाबा लाट भैरव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, बाबा ने बाल स्वरूप में दर्शन दिए।

वाराणसी में महाभैरवाष्टमी के पावन अवसर पर बाबा लाट भैरव मंदिर में भक्तों का सागर उमड़ पड़ा। इस दिन बाबा ने बाल स्वरूप में दर्शन देकर श्रद्धालुओं को कृतार्थ किया। सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्र हुए और पूजा अर्चना की। मान्यता है कि महाभैरवाष्टमी पर बाबा के बाल स्वरूप के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर प्रशासन ने इस विशेष पर्व को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे।

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में बाबा श्री कपाल भैरव के विशाल लिंगाकार स्वरूप का दशविद् स्नान कराया गया। इस अनुष्ठान में गाय के दूध, घी, शहद, इत्र, पंचामृत, गुलाब जल और काशी के विभिन्न तीर्थों के जल से विधिवत स्नान कराया गया। भक्तों ने पंचाक्षरी मंत्र का जप करते हुए बाबा को नवीन वस्त्र और आभूषणों से अलंकृत किया। प्रातः काल की पहली आरती के साथ मंदिर परिसर भक्ति और श्रद्धा से गूंज उठा। इस अवसर पर भैरवाष्टकं का पाठ और स्तुतिगान किया गया। साथ ही भैरवीकूप और कपाल मोचन कुंड की आरती भी संपन्न हुई।

सुबह से ही दर्शन पूजन का क्रम लगातार चलता रहा और दोपहर तक श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। देर शाम अन्नकूट शृंगार और भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में भक्ति, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गूंज सुनाई देती रही।

महाभैरवाष्टमी के उपलक्ष्य में काशी यात्रा मंडल के तत्वावधान में भैरव प्रदक्षिणा यात्रा का आयोजन भी किया गया। यह यात्रा कज्जाकपुरा स्थित लाट भैरव मंदिर से प्रारंभ हुई। यात्रा से पहले भक्तों ने पौराणिक श्री कपाल मोचन कुंड के जल से जलमार्जन किया और बाबा श्री के समक्ष संकल्प लिया। आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित भैरवाष्टकम का पाठ कर यात्रा आरंभ हुई। श्रद्धालु नंगे पांव पारंपरिक परिधान में मस्तक पर त्रिपुंड लगाए मानसिक जप करते हुए चल रहे थे। जय भैरव बम भैरव के जयघोष से पूरा मार्ग गूंज उठा।

प्रदक्षिणा यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने काशी के आठों दिशाओं के रक्षक अष्ट भैरवों के दर्शन किए। इनमें महामृत्युंजय स्थित असितांग भैरव, दुर्गाकुंड स्थित चंड भैरव, हरिश्चंद्र घाट स्थित रुरु भैरव, कामाख्या देवी कमक्छा स्थित क्रोधन भैरव, बटुक भैरव स्थित उन्मत्त भैरव, कज्जाकपुरा स्थित कपाल भैरव, नखास स्थित भीषण भैरव और गायघाट स्थित संहार भैरव शामिल रहे। यात्रा के अंत में भक्तों ने अष्ट भैरवों के सम्मुख दीप जलाकर आठ प्रकार के भोग अर्पित किए।

मंदिर व्यवस्थापक केवल कुशवाहा ने बताया कि भैरवनाथ न्याय के देवता हैं और उनकी उपासना से व्यक्ति को काल के भय से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि बाबा भैरव नाथ की वंदना से शोक, मोह, दैन्य, लोभ और कोप जैसे दोषों का नाश होता है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में केवल कुशवाहा, शिवम अग्रहरि, धर्मेंद्र शाह, रितेश कुशवाहा, जयप्रकाश राय, आनंद मौर्य, नरेंद्र प्रजापति, कृष्णा यादव, मोहित गुप्ता और कई अन्य श्रद्धालु शामिल रहे।

महाभैरवाष्टमी पर वाराणसी की गलियों में भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। मंदिरों में घंटों की गूंज और भक्तों की आस्था ने इस पर्व को और भी पवित्र बना दिया।

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