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वाराणसी: गंगा के घाटों पर गरजा निषाद समाज, प्रशासन से मांगा जवाब

वाराणसी: गंगा के घाटों पर गरजा निषाद समाज, प्रशासन से मांगा जवाब

वाराणसी में निषाद समाज की बैठक में तेलिया नाला और सका घाट पर माझी समुदाय द्वारा नौका संचालन बंद करने के निर्णय पर विचार हुआ, अवैध संचालन से आजीविका पर संकट बताया गया.

वाराणसी: मां गंगा निषाद राज सेवा न्यास के अध्यक्ष प्रमोद माझी की अगुवाई में गुरुवार को दशाश्वमेध घाट पर निषाद समाज की एक अहम और विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें वाराणसी जिले के तमाम निषाद समाज से जुड़े सदस्य और पदाधिकारी बड़ी संख्या में शामिल हुए। बैठक में मुख्य रूप से तेलिया नाला और सका घाट क्षेत्र में माझी समुदाय द्वारा नौका संचालन बंद किए जाने के हालिया निर्णय पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।

बैठक के दौरान अध्यक्ष प्रमोद माझी ने समाज के बीच यह जानकारी साझा की कि 30 जून 2025 से घाट क्षेत्र में कुछ गैर-सामाजिक तत्वों द्वारा अवैध रूप से नौका संचालन किया जा रहा है, जिससे पारंपरिक माझी समुदाय की आजीविका पर गहरा संकट मंडरा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अवैध गतिविधि के विरोध में माझी समुदाय के लोगों ने सामूहिक रूप से नौका संचालन बंद करने का कठिन लेकिन एकजुट निर्णय लिया है।

प्रमोद माझी ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब गंगा में जलस्तर बढ़ने की स्थिति को लेकर पारंपरिक नाविकों और निजी क्रूज के संचालन पर रोक लगाई गई है, तब आखिर सरकारी क्रूज को संचालन की अनुमति कैसे दी जा रही है? उन्होंने इसे प्रशासन की दोहरी नीति करार दिया और निषाद समाज के साथ खुला भेदभाव बताया। उनका कहना था कि यह निर्णय न केवल आर्थिक रूप से माझी समाज को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि उनके पारंपरिक व्यवसाय और सांस्कृतिक पहचान पर भी सीधा प्रहार है।

बैठक में निषाद समाज के वरिष्ठ जनों और क्षेत्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि प्रशासन की यह नीति साफ तौर पर पक्षपातपूर्ण है और इससे समाज में रोष है। वक्ताओं ने प्रशासन से जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्ट और निष्पक्ष कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि अगर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो निषाद समाज को आंदोलन की राह पकड़नी पड़ सकती है।

साथ ही बैठक में आगामी रणनीति को लेकर भी गंभीरता से चर्चा हुई। निषाद समाज ने निर्णय लिया कि वे शीघ्र ही प्रशासनिक अधिकारियों से संवाद स्थापित कर ज्ञापन सौंपेंगे और नौका संचालन की निष्पक्ष बहाली की मांग करेंगे।

इस दौरान घाट पर उपस्थित समाज के लोगों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि पारंपरिक नाविकों के हक की लड़ाई शांतिपूर्ण, लेकिन दृढ़ता से लड़ी जाएगी और जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे।

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