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वाराणसी: प्रतिबंधित कफ सीरप तस्करी मामले में पुलिस ने गठित की SIT, बड़े नेटवर्क की होगी जांच

वाराणसी: प्रतिबंधित कफ सीरप तस्करी मामले में पुलिस ने गठित की SIT, बड़े नेटवर्क की होगी जांच

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने प्रतिबंधित कफ सीरप के अवैध व्यापार में सक्रिय बड़े नेटवर्क की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है।

वाराणसी में प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप की अवैध बिक्री और करोड़ों की तस्करी के मामले में अब कमिश्नरेट पुलिस पूरी गंभीरता से कार्रवाई में जुट गई है। इस प्रकरण में सामने आए बड़े नेक्सस और माफिया नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया है। इस टीम का नेतृत्व एडीसीपी काशी जोन सरवणन टी. करेंगे और उनकी सहायता के लिए एसीपी कोतवाली अतुल अंजान त्रिपाठी को सदस्य तथा कोतवाली इंस्पेक्टर दयाशंकर सिंह को विवेचक बनाया गया है। पूरे मामले की साप्ताहिक समीक्षा डीसीपी काशी स्वयं करेंगे।

एसआईटी का मुख्य उद्देश्य प्रतिबंधित कफ सीरप के अवैध व्यापार में पिछले कई वर्षों से सक्रिय रहे सरगना शुभम जायसवाल, उसके पिता भोला प्रसाद जायसवाल और उनसे जुड़े करीबियों का पूरा नेटवर्क खंगालना है। शुभम के पिछले 10 वर्षों में अवैध कारोबार से हुई कमाई, उस धन से खरीदे गए मकान, मार्केट, कॉम्पलेक्स और होटलों की पूरी जानकारी जुटाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उनके संपर्कों और फर्जी फर्मों की भी जांच की जाएगी जिनके जरिए यह कारोबार चलाया जा रहा था।

एसआईटी की जांच के दायरे में वाराणसी के करीब 100 दवा व्यवसायी और उनकी फर्म भी शामिल हैं जिनके बारे में संदेह है कि उन्होंने प्रतिबंधित कफ सीरप की खरीद और बिक्री में सहायता की। सबसे बड़ी फर्म मेसर्स शैली ट्रेडर्स है, जिसे झारखंड के तुपुदाना में पंजीकृत बताया गया है, लेकिन वाराणसी में फर्जी पते के आधार पर संचालित किया जा रहा था। यह फर्म ऐबोट हेल्थकेयर से बड़ी मात्रा में कफ सीरप खरीद रही थी और उसे अवैध रूप से विभिन्न शहरों में भेज रही थी।

इस मामले में अब तक सबसे बड़ी कार्रवाई तब सामने आई जब कोतवाली थाना क्षेत्र में शुभम, भोला प्रसाद और 28 दवा कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। आरोप है कि इन लोगों ने 100 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 89 लाख शीशियों की खरीद और बिक्री की। इनमें से 93 मेडिकल स्टोर ऐसे पाए गए जिनका अस्तित्व मौके पर नहीं था, लेकिन उनके नाम पर लाखों शीशियों की फर्जी खरीद दिखाकर तस्करी की गई।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने अपनी जांच में पाया कि काशी से बंगाल और बांग्लादेश तक नेटवर्क फैला हुआ था। नौ बंद फर्मों को कफ सीरप की बिक्री दिखाई गई। इनमें मेसर्स सृष्टि फार्मा, शिवम फार्मा, हर्ष फार्मा, डीएसए फार्मा, निशांत फार्मा, महाकाल मेडिकल स्टोर और कई अन्य फर्में शामिल हैं। इनमें से कई फर्में मौके पर बंद मिलीं और कुछ के मालिकों ने स्वीकार किया कि उनके नाम पर बनी फर्म से उनका कोई संबंध नहीं है।

आयुक्त रोशन जैकब ने बताया कि मेसर्स जीडी इंटरप्राइजेज ने शैली ट्रेडर्स से लाखों शीशियां खरीदीं, लेकिन बिक्री की रसीद नहीं दी गई। न्यू पीएल फार्मा ने 2.16 लाख शीशियां खरीदीं और इसे एक बंद फर्म श्री बालाजी मेडिकल को बेचने का फर्जी रिकॉर्ड दिखाया। श्री बालाजी मेडिकल का मालिक असल में सराफा दुकान का कर्मचारी निकला, जिसका मेडिकल कारोबार से कोई संबंध नहीं था। इससे स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग करके नशे में उपयोग होने वाली कफ सीरप को प्रदेश और देश के कई हिस्सों में भेजा जा रहा था।

एसआईटी यह भी जांच करेगी कि पूर्व अधिकारियों की भूमिका किस हद तक इस नेटवर्क को संरक्षण देने में रही। विभागीय सूत्रों के अनुसार सप्तसागर दवा मंडी के 150 से अधिक स्टॉकिस्टों पर दबाव बनाकर बिलिंग कराई जाती थी। कई बार कफ सीरप गोदाम तक पहुंचने से पहले ही डिपो से सीधे शुभम के गोदाम भेज दी जाती थी। यह पूरा खेल लंबे समय से चल रहा था और कई दवा व्यवसायियों की मिलीभगत से इस रैकेट को मजबूत किया गया।

थाने में दर्ज केस के अनुसार शैली ट्रेडर्स ने 2023 से 2025 के बीच बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित कफ सीरप खरीदकर आगे भेजा। इस गिरोह की कमान शुभम के हाथ में थी, जो वर्तमान में विदेश भाग चुका है। गाजियाबाद पुलिस उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी में है। जांच टीम ने पाया है कि शुभम एक ही समय में दो कंपनियों में कार्यरत था, जो नियमों का गंभीर उल्लंघन है।

ड्रग विभाग 76 फर्मों की जांच कर रहा है और पांच दिन में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। जिन 26 फर्मों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है, उनके लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस मामले में जिन दवा कारोबारियों के नाम सामने आए हैं, उनमें कई प्रतिष्ठित क्षेत्रों के निवासी भी शामिल हैं।

कमिश्नरेट पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई केवल शुरुआत है और एसआईटी जल्द ही इस नेटवर्क के और भी चेहरों को उजागर करेगी। यह मामला प्रदेश में दवा बाजार में चल रहे बड़े फर्जीवाड़े और नशे के कारोबार की गहरी जड़े उजागर करता है। प्रशासन का दावा है कि पूरे नेक्सस को खत्म करने के लिए हर स्तर पर जांच की जाएगी।

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