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वाराणसी रोपवे: घनी बस्ती में टावर लगाना बना चुनौती, स्विस क्रेन से समाधान

वाराणसी रोपवे: घनी बस्ती में टावर लगाना बना चुनौती, स्विस क्रेन से समाधान

वाराणसी रोपवे परियोजना के टावर लगाने में घनी बस्ती और संकरी गली चुनौती बनी, स्विस क्रेन से समाधान निकाला गया।

वाराणसी में रोपवे परियोजना का काम लगातार आगे बढ़ रहा है और शहर के पांच स्थानों पर निर्माण तेजी से जारी है। गोदौलिया पर टेक्निकल स्टेशन बन रहा है जहां ट्रायल भी पूरा कर लिया गया है। काशी पहुंचने वाले पर्यटकों में रोपवे को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है क्योंकि यह परियोजना शहर की यातायात व्यवस्था को काफी हद तक बदलने वाली है। लक्सा थाना क्षेत्र के पास जब टावर खड़े करने का काम शुरू किया गया तो जमीन पर स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण थी। आगे घनी बस्ती और मकान थे और पीछे जाने के लिए केवल एक बेहद संकरी गली थी जिसमें से बड़े आकार के टावरों के सामान को ले जाना संभव नहीं था। इस चुनौती को देखते हुए स्विटजरलैंड से आए तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में हैवी क्रेन मंगाई गई ताकि टावर के हिस्सों को तीन मंजिला मकान की ऊंचाई से ऊपर उठाकर पीछे की गली की ओर ले जाया जा सके जहां टावर फिट किया जाना था। कई घंटों की सावधानी और तकनीक के साथ क्रेन की मदद से सामान को सही जगह पहुंचाया गया और अब वहां टावर लगाने का काम पूरा होने की कगार पर है।

वीडीए अधिकारियों के अनुसार कुल 29 टावर लगाए जाएंगे और इनकी ऊंचाई सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए काफी ज्यादा रखी गई है। सबसे ऊंचा टावर नंबर 15 सुविधा साड़ी सिगरा क्षेत्र के पास बनाया जा रहा है जिसकी ऊंचाई 160 फीट है। इन टावरों की नींव 80 फीट गहरी बनाई गई है ताकि लंबे समय तक संरचना स्थिर और सुरक्षित रहे। कुछ सप्ताह पहले इस क्षेत्र में रास्ता डायवर्ट भी किया गया था ताकि निर्माण कार्य में बाधा न आए। गुरुबाग से गिरजाघर जाने वाले वाहनों को औरंगाबाद की ओर भेजा गया था जबकि कुछ वाहन लक्सा होकर पीडीआर मॉल के पास गीता मंदिर वाले मार्ग से नई सड़क की ओर जा रहे थे। बड़े वाहन भी औरंगाबाद की दिशा में डायवर्ट किए गए ताकि क्रेन के संचालन और टावर स्थापना के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

रोपवे परियोजना कुल 3.8 किलोमीटर की दूरी में बनाई जा रही है जो कैंट से गोदौलिया तक चलेगी। इस मार्ग में काशी विद्यापीठ और रथयात्रा दो प्रमुख इंटरमीडिएट स्टेशन होंगे जबकि गिरजाघर को टेक्निकल स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस तरह कुल पांच स्टेशन यात्रियों के लिए तैयार किए जा रहे हैं और इनके माध्यम से शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में यातायात का दबाव काफी कम होने की उम्मीद है। यह परियोजना वाराणसी में आधुनिक परिवहन व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस पूरी परियोजना पर कुल 815.58 करोड़ रुपये की लागत आएगी और काम निर्धारित समय के भीतर पूरा किए जाने की योजना है।

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