Wed, 24 Dec 2025 12:26:24 - By : Aakash Tiwari (Mridul)
आगरा के किरावली थाना क्षेत्र में थाना प्रभारी एसआई नीरज कुमार के कार्यकाल के दौरान लगातार सामने आए विवादों ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आठ जुलाई 2025 को किरावली थाने का प्रभारी बनाए गए नीरज कुमार की तैनाती के बाद से थाना कई बार चर्चा में रहा। हालिया मामला सरसा गांव का है जहां चार सितंबर को एक महिला को बंधक बनाकर लूट की घटना हुई। आरोप है कि इस गंभीर घटना में पुलिस ने प्रारंभिक स्तर पर मुकदमा दर्ज ही नहीं किया। जब ग्रामीणों ने थाने पर धरना प्रदर्शन किया तब जाकर लूट के बजाय चोरी का मुकदमा दर्ज किया गया। इस फैसले को लेकर क्षेत्र में असंतोष और अविश्वास का माहौल बना हुआ है और अब तक इस मामले का कोई खुलासा भी नहीं हो सका है।
किरावली थाने में इससे पहले भी एसओ नीरज कुमार की कार्यशैली विवादों में रही है। युवक को थाने बुलाकर कथित रूप से पिटाई कर टांगें तोड़ने के मामले में उन्हें पहले भी निलंबन झेलना पड़ा था। उसी प्रकरण में दारोगा धर्मवीर का नाम भी सामने आया था। धर्मवीर पर एक माह पहले भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने की शिकायत हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज कराई गई थी लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। शिकायत की जांच चलने की बात कही जा रही है लेकिन परिणाम सामने नहीं आए हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जिस दारोगा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं वह अब तक सेवा में बने हुए हैं।
नीरज कुमार की नियुक्ति से पहले की तैनातियों पर भी सवाल उठ चुके हैं। किरावली से पहले वे बसई पुलिस चौकी पर तैनात थे जहां एक रूफ टॉप विवाद के मामले में उनकी भूमिका पर गंभीर प्रश्न उठे थे। उस समय थाने का प्रभार संभाल रहे प्रशिक्षु आईपीएस आलोक राज नारायण ने उनके खिलाफ रिपोर्ट भेजी थी जिसके बाद उन्हें चौकी से हटा दिया गया था। इसके बावजूद बाद में उन्हें थाना प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
हरीपर्वत थाने में तैनाती के दौरान भी नीरज कुमार एक अन्य विवाद में फंसे रहे। वहां एक मुकदमे की विवेचना के दौरान हाईकोर्ट से मुकदमा क्वैस होने के आदेश के बावजूद चार्जशीट दाखिल कर दी गई। इस मामले में अधिवक्ता अरुण दीक्षित ने सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया जिसके बाद कोर्ट ने वाद दर्ज करने के आदेश दिए। इन सभी घटनाओं के बावजूद उन्हें किरावली थाने का प्रभार सौंपा गया जो विभागीय स्तर पर उठ रहे सवालों को और गहरा करता है।
थाने में हाल के घटनाक्रमों के दौरान एक सिपाही रवि मलिक भी निलंबन के बाद करीब पंद्रह दिन पहले ही थाने में वापस आया था। इसके बाद उसे एक हत्याकांड के पर्दाफाश से जुड़ी सुरागरशी में लगाया गया। पूरे मामले में स्थानीय लोगों का कहना है कि गंभीर अपराधों में लापरवाही और मुकदमों की धाराओं में बदलाव से पुलिस की विश्वसनीयता पर असर पड़ा है। लगातार विवादों के बीच अब सभी की नजरें उच्च अधिकारियों की कार्रवाई और जांच के निष्कर्ष पर टिकी हुई हैं।