Wed, 29 Oct 2025 11:23:42 - By : Yash Agrawal
आजमगढ़ में शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्तियों का बड़ा मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, शहर कोतवाली में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक नवल किशोर की शिकायत पर एक और मुकदमा दर्ज किया गया है, शिकायत में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन वरिष्ठ सहायक मनीष कुमार ने वर्ष 2016 में माध्यमिक विद्यालयों में हुई फर्जी नियुक्तियों के दौरान महत्वपूर्ण अभिलेख गायब किए और जालसाजी में भूमिका निभाई, फिलहाल मनीष कुमार संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय में प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।
यह मामला वर्ष 2014 के नियुक्ति विज्ञापन से जुड़ा है, जिसके तहत 2015-16 में सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस दौरान तीन चयन सूचियां जारी की गईं, जिनमें दूसरी और तीसरी सूची में अंकों में गड़बड़ी और दस्तावेजों की हेराफेरी सामने आई। जांच में पाया गया कि चयन प्रक्रिया के दौरान उच्च अधिकारियों के स्थानांतरण होते रहे, लेकिन कार्यालय में कार्यरत मनीष कुमार और एक अन्य सहायक संजय कुमार सिंह लगातार पद पर बने रहे। इसी अवधि में कथित रूप से फर्जी अभ्यर्थियों को नियुक्तियां मिलीं, जिससे शिक्षा विभाग की साख पर सवाल उठे।
संयुक्त शिक्षा निदेशक नवल किशोर ने बताया कि अभिलेखों की जांच के दौरान मूल आवेदन पत्र और संलग्न दस्तावेज गायब पाए गए, जिससे जांच प्रक्रिया अधूरी रह गई। 15 अक्टूबर को मनीष कुमार को नोटिस देकर दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उन्होंने अनुपालन नहीं किया। आरोप यह भी है कि कुछ अभ्यर्थियों ने कर्मचारियों की मिलीभगत से अपने असली आवेदन गायब कर नए प्रमाणपत्र लगाए और गलत तरीके से नियुक्तियां हासिल कीं।
वर्ष 2014 में तत्कालीन संयुक्त निदेशक उत्तम गुलाटी ने नियुक्ति विज्ञापन जारी किया था। इसके बाद 2015-16 में रामचेत और अखिलेश कुमार पांडे के कार्यकाल में तैनातियां हुईं। जब वर्ष 2020 में ए.पी. वर्मा को शिकायतें मिलीं कि कुछ शिक्षक फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरी कर रहे हैं, तब पूरे प्रकरण की जांच शुरू हुई। प्रारंभिक जांच में आठ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था।
बाद में गठित जांच समिति ने मामले का दायरा बढ़ाया और 22 शिक्षकों को दोषी पाया। इनमें आजमगढ़ के 10, मऊ के 8 और बलिया के 4 शिक्षक शामिल थे। शासन ने अगस्त 2025 में सभी 22 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था और फर्जीवाड़े में शामिल सभी संबंधितों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के निर्देश दिए थे। अब वरिष्ठ सहायक मनीष कुमार पर दर्ज हुआ नया मुकदमा पूरे प्रकरण की जांच को एक नए चरण में ले गया है। पुलिस विभाग और शिक्षा विभाग मिलकर इस घोटाले से जुड़े दस्तावेजों और वित्तीय लेनदेन की पड़ताल कर रहे हैं।
यह फर्जी नियुक्ति प्रकरण न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अब और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। शासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच को तेज करने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं।