ISRO का बाहुबली LVM3 रॉकेट अमेरिकी ब्लूबर्ड सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाकर रचा नया इतिहास

इसरो ने LVM3 से अमेरिकी ब्लूबर्ड सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया।

Wed, 24 Dec 2025 21:41:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में अपनी बादशाहत साबित करते हुए एक और ऐतिहासिक अध्याय लिख दिया है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लॉन्च पैड से जब इसरो के सबसे भारी और भरोसेमंद रॉकेट 'LVM3' ने उड़ान भरी, तो आसमान उसकी गर्जना से गूंज उठा। इस महत्वपूर्ण मिशन के तहत, इसरो ने अमेरिकी कंपनी के अत्याधुनिक संचार उपग्रह 'ब्लूबर्ड ब्लॉक-2' (Bluebird Block-2) को सफलतापूर्वक पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit - LEO) में स्थापित कर दिया है। यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन है, बल्कि यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और व्यावसायिक जीत भी मानी जा रही है।

इस मिशन की सबसे खास बात वह 'पेलोड' यानी सैटेलाइट है, जिसे इसरो ने अंतरिक्ष में पहुँचाया है। अमेरिकी कंपनी द्वारा विकसित 'ब्लूबर्ड ब्लॉक-2' कोई साधारण उपग्रह नहीं है, बल्कि यह संचार क्रांति की अगली पीढ़ी का आगाज है। इस भारी-भरकम सैटेलाइट को विशेष रूप से दुनिया भर में 'डेड जोन्स' (जहां नेटवर्क नहीं मिलता) को खत्म करने और सीधे आम आदमी के स्मार्टफोन तक 4G और 5G की हाई-स्पीड सेल्युलर ब्रॉडबैंड सेवा पहुँचाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। इसका मतलब है कि भविष्य में मोबाइल टावरों पर निर्भरता कम होगी और सुदूर इलाकों, जंगलों या समुद्र के बीच भी सीधे सैटेलाइट से मोबाइल पर क्रिस्टल क्लियर नेटवर्क मिल सकेगा। इसरो की सटीक लॉन्चिंग ने इस भविष्यवादी तकनीक को साकार करने में अहम भूमिका निभाई है।

इसरो के लिए यह मिशन इसलिए भी खास था क्योंकि इसमें LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया, जिसे प्यार से 'बाहुबली' भी कहा जाता है। अब तक यह रॉकेट चंद्रयान और गगनयान जैसे भारत के महत्वकांक्षी मिशनों के लिए जाना जाता था, लेकिन इस लॉन्च के साथ इसने अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल बाजार में भी अपनी विश्वसनीयता का लोहा मनवा लिया है। अमेरिकी कंपनी का अपनी अगली पीढ़ी के महत्वपूर्ण सैटेलाइट के लिए नासा या स्पेसएक्स के बजाय भारतीय रॉकेट LVM3 को चुनना, भारतीय वैज्ञानिकों की सटीकता और लागत-प्रभावी लॉन्चिंग क्षमता पर दुनिया के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। लॉन्च के ठीक बाद, वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि सैटेलाइट अपनी निर्धारित कक्षा में पूरी सटीकता के साथ स्थापित हो गया है और उसने सिग्नल भेजना शुरू कर दिया है।

अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि 'ब्लूबर्ड ब्लॉक-2' का सफल प्रक्षेपण वैश्विक दूरसंचार के क्षेत्र में गेम-चेंजर साबित होगा। जहाँ एक तरफ यह सैटेलाइट अंतरिक्ष से सीधे मोबाइल पर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देगा, वहीं दूसरी तरफ यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के लिए भारी राजस्व अर्जित करने वाला सौदा साबित हुआ है। इसरो की इस कामयाबी ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब केवल अपने उपग्रह छोड़ने वाला देश नहीं रहा, बल्कि वह दुनिया की बड़ी से बड़ी ताकतों के लिए अंतरिक्ष का एक भरोसेमंद 'लॉन्च हब' बन चुका है। श्रीहरिकोटा से मिली इस सफलता ने एक बार फिर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।

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