महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षांत समारोह में ट्रांसजेंडर छात्रों को भी उपाधि मिली

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षांत समारोह में 101 छात्रों को स्वर्ण पदक मिले, पहली बार ट्रांसजेंडर छात्रों को भी उपाधि दी गई।

Wed, 08 Oct 2025 10:53:44 - By : Shriti Chatterjee

वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का 47वां दीक्षांत समारोह इस बार ऐतिहासिक रूप में आयोजित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय परिसर से बाहर पहली बार रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हो रहा यह समारोह अकादमिक उपलब्धियों के साथ सामाजिक समावेशन का भी प्रतीक बना है। कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने औपचारिक घोषणा के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत से हुई, जिसके बाद मंच पर राज्यपाल, मुख्य अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर सरोज चूड़ामणि गोपाल (AIIMS नई दिल्ली) और कुलपति प्रोफेसर एके त्यागी सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

कुलपति प्रोफेसर त्यागी ने बताया कि इस बार 101 छात्रों को कुल 103 स्वर्ण पदक प्रदान किए जा रहे हैं, जिनमें 27 छात्र और 74 छात्राएं शामिल हैं। स्नातक स्तर पर 7 छात्र और 23 छात्राओं को स्वर्ण पदक मिल रहा है, जबकि स्नातकोत्तर में 20 छात्र और 51 छात्राओं को यह सम्मान दिया जा रहा है। खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए एशियन यूनिवर्सिटी पावरलिफ्टिंग में कुमारी अमृता और कार्तिक को स्पोर्ट्स कोटे के अंतर्गत गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।

इस वर्ष स्नातक स्तर पर कुल 55642 उपाधियां दी जा रही हैं, जिनमें 21387 छात्र, 34252 छात्राएं और 3 ट्रांसजेंडर छात्र शामिल हैं। यह विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार है जब ट्रांसजेंडर छात्रों को उपाधि दी जा रही है। स्नातकोत्तर में 15322 उपाधियां प्रदान की जा रही हैं, जिनमें 3838 छात्र और 11484 छात्राएं हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय 178 पीएचडी की डिग्रियां भी प्रदान करेगा, जिनमें 111 छात्र और 67 छात्राएं शामिल हैं। इस प्रकार कुल 71243 विद्यार्थियों को इस वर्ष उपाधियां दी जाएंगी।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित यह समारोह काशी विद्यापीठ के लिए न केवल एक शैक्षणिक उत्सव है बल्कि शिक्षा में समावेशन और समानता के नए अध्याय की शुरुआत भी है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि उच्च शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम नहीं है बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर सरोज चूड़ामणि ने छात्रों से कहा कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में करें और देश को नई दिशा देने में योगदान दें।

समारोह के दौरान पूरे परिसर में अनुशासन और गरिमा का वातावरण बना रहा। छात्र-छात्राओं और उनके परिजनों ने दीक्षांत समारोह को एक यादगार क्षण के रूप में महसूस किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने आयोजन को भव्य और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया, जो शिक्षा और संस्कृति के संगम वाराणसी की गरिमा के अनुरूप रहा।

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