Wed, 12 Nov 2025 12:31:13 - By : Palak Yadav
वाराणसी: सर्दियों के आगमन के साथ ही गंगा नदी में प्रवासी पक्षियों का दृश्य पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण बन गया है। दूर देशों से आए ये पक्षी गंगा की लहरों पर खेलते हुए दिखाई देते हैं और नौकायन का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं। हर साल साइबेरिया और मध्य एशिया से आने वाले ये सीगल हजारों किलोमीटर का सफर तय कर वाराणसी के आंचल में ठहरते हैं।
स्थानीय लोगों और पर्यटन अधिकारियों के अनुसार, ये प्रवासी पक्षी ठंड से बचने के लिए भारत के उत्तरी हिस्सों में आते हैं और गंगा के किनारे सर्दियों में निवास करते हैं। पर्यटक इन पक्षियों के करीब पहुंचकर उनके साथ सेल्फी लेने और कभी-कभी अपने हाथों से दाना खिलाने का आनंद भी लेते हैं। पक्षियों की चहचहाहट और उड़ान गंगा की लहरों को और भी जीवंत बना देती है।
वाराणसी और आसपास के गंगेय क्षेत्रों में सीगल की बड़ी संख्या दर्शाती है कि यह क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए अत्यधिक अनुकूल है। फरवरी तक इन पक्षियों का प्रवास जारी रहता है। इस दौरान वे लंबी दूरी तय करते हुए कई प्राकृतिक जोखिम और बाधाओं का सामना करते हैं।
प्रकृति के इस अद्भुत चमत्कार का अनुभव न केवल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है। नौकायन, फोटो और पक्षियों के दर्शन से जुड़े पर्यटन गतिविधियों के चलते स्थानीय व्यवसायों को भी लाभ होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासी पक्षियों की यह उपस्थिति हमें प्राकृतिक संरक्षण और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का संदेश देती है।
सर्दियों में गंगा में प्रवासी पक्षियों की यह उड़ान न केवल दृश्य सौंदर्य बढ़ाती है, बल्कि जीवन में प्राकृतिक विविधता और उत्साह का भी अनुभव कराती है। पर्यटक और स्थानीय लोग मिलकर इस प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेते हैं और इसे संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं।