Thu, 20 Nov 2025 13:26:30 - By : Tanishka upadhyay
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एक नई और संवेदनशील पहल ने शिक्षा को और अधिक समावेशी दिशा दी है। श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय वाराणसी के दृष्टिबाधित छात्रों के लिए नितिन श्रीवास्तव ने अंग्रेजी से फ्रेंच भाषा में अनुवादित ब्रेल पुस्तकों का दान किया है। इस पहल से उन छात्रों को एक ऐसी भाषा सीखने का मौका मिलेगा, जिसके माध्यम से वे वैश्विक स्तर पर नए अवसरों से जुड़ सकेंगे।
इन पुस्तकों को विशेष रूप से ब्रेल लिपि में तैयार किया गया है, ताकि दृष्टिबाधित बच्चे बिना किसी कठिनाई के फ्रेंच भाषा की मूल बातें सीख सकें। विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि यह दान न सिर्फ शिक्षण को सरल बनाएगा, बल्कि छात्रों में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास भी बढ़ाएगा। फ्रेंच जैसी अंतरराष्ट्रीय भाषा सीखना उनके लिए उच्च शिक्षा और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों के अवसर खोल सकता है।
नितिन श्रीवास्तव का सहयोग यहीं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने दिल्ली, बेंगलुरु और कोलंबो में आयोजित टी 20 महिला ब्लाइंड क्रिकेट विश्व कप में भारत, अमेरिका, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका की टीमों को भी ब्रेल पुस्तकों का वितरण किया। इस पहल का उद्देश्य दृष्टिबाधित खिलाड़ियों को शिक्षा और खेल, दोनों में समान अवसर प्रदान करना है, ताकि वे मैदान से बाहर भी अपनी क्षमताओं को विकसित कर सकें।
इसके साथ ही नितिन श्रीवास्तव ने वाराणसी में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए निशुल्क फ्रेंच कक्षाओं की घोषणा भी की है। यह कक्षाएं शनिवार और रविवार को एक घंटे के लिए आयोजित होंगी। पूरा पाठ्यक्रम शुरुआत से शुरू होगा और लगभग एक साल तक चलेगा। कक्षाएं सभी इच्छुक छात्रों के लिए खुली रहेंगी। उनका मानना है कि भाषा सीखने से बच्चों में संवाद कौशल बढ़ता है और वे आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उन्होंने सामाजिक सेवा को आगे बढ़ाते हुए सड़कों पर रहने वाले जरूरतमंद लोगों और रिक्शा चालकों को गर्म कंबल वितरित किए। ठंड से बचाने के इस अभियान में बाबूराम लाल मेमोरियल ट्रस्ट का सहयोग रहा। इस कार्यक्रम में रमेश श्रीवास्तव, शिवम पांडेय और रवि सोनकर ने भी योगदान दिया। आयोजन के दौरान लोगों ने नितिन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी इस तरह की पहल समाज के लिए प्रेरणा हैं।
विद्यालय के प्रिंसिपल ने कहा कि यह प्रयास दृष्टिबाधित छात्रों के लिए एक बड़ी मदद है और उम्मीद जताई कि समाज के अन्य लोग भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे आएंगे। वाराणसी में शिक्षा और सामाजिक सेवा के इस संगम ने एक बार फिर साबित किया कि संवेदनशील प्रयास किसी भी चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।