Sat, 13 Sep 2025 10:44:33 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी में साइबर ठगी के एक बड़े मामले में तीन साल बाद पीएसी के रिटायर्ड कंपनी कमांडर लल्लन प्रसाद को न्याय मिला है। लल्लन प्रसाद से हुई 43 लाख रुपये की ठगी आखिरकार वापस हो गई। पीड़ित ने इस मामले में लगातार कानूनी लड़ाई लड़ी और पुलिस की टीम ने अथक प्रयास कर ठगों तक पहुंच बनाई। यह घटना न केवल पीड़ित के लिए राहत लेकर आई बल्कि समाज के लिए भी एक मिसाल बनी है कि यदि धैर्य और जांच सही दिशा में हो तो ठगी के शिकार लोग भी अपना खोया धन वापस पा सकते हैं।
मामला करीब तीन साल पुराना है जब लल्लन प्रसाद के खाते से साइबर अपराधियों ने धोखे से 43 लाख रुपये निकाल लिए थे। ठगी का शिकार होने के बाद उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। केस साइबर क्राइम थाना वाराणसी में दर्ज हुआ और पुलिस ने इस पर गंभीरता से काम करना शुरू किया। जांच के दौरान पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर ठगों की पहचान की और उनके बैंक खातों को चिन्हित कर उन्हें होल्ड कराया।
पुलिस की रणनीति और सतत निगरानी का नतीजा यह रहा कि धीरे-धीरे पूरी रकम सुरक्षित होकर बैंक में वापस आई। इस दौरान पुलिस ने 17 साइबर ठगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। अधिकारियों का कहना है कि यह केस साइबर क्राइम की जांच और कार्रवाई का एक मजबूत उदाहरण है।
लल्लन प्रसाद ने पैसे वापस मिलने पर खुशी जाहिर की और वाराणसी पुलिस का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि तीन साल तक यह रकम वापस मिलने की उम्मीद बेहद कम थी, लेकिन पुलिस की मेहनत और ईमानदार प्रयासों ने उन्हें फिर से विश्वास दिलाया कि न्याय देर से ही सही लेकिन मिलता जरूर है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला साइबर अपराध से निपटने के लिए एक सबक है। लोगों को जागरूक रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर भरोसा नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ठगी होने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन या स्थानीय थाने में रिपोर्ट करनी चाहिए, ताकि पैसे सुरक्षित किए जा सकें।
यह सफलता न केवल पुलिस की साख को मजबूत करती है बल्कि उन हजारों पीड़ितों के लिए भी उम्मीद जगाती है जो साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज कराते हैं और न्याय की प्रतीक्षा करते हैं।