वाराणसी: बंदरगाह भूमि अधिग्रहण विवाद, अखिलेश के वादे पर सपा प्रतिनिधिमंडल किसानों से मिला

चंदौली के मिल्कीपुर में बंदरगाह भूमि अधिग्रहण विवाद पर सपा का सशक्त प्रतिनिधिमंडल किसानों से मिला, उनकी समस्याओं को सुना और समर्थन का आश्वासन दिया।

Sun, 10 Aug 2025 15:11:01 - By : Sayed Nayyar

वाराणसी/चंदौली: राल्हूपुर में बन रहे बंदरगाह और फ्रेट विलेज के लिए हो रहे विवादित भूमि अधिग्रहण ने अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले लिया है। किसानों की पुकार लखनऊ तक पहुंची और 28 जून को पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के बाद, वादा निभाते हुए 9 अगस्त को सपा का एक सशक्त प्रतिनिधिमंडल चंदौली जिले के मिल्कीपुर गांव में किसानों से मिलने पहुंचा।

इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने किया। उनके साथ चंदौली के सांसद वीरेंद्र सिंह, सकलडीहा के विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव, जिला अध्यक्ष सत्यनारायण राजभर समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे। प्रतिनिधियों ने गांव के बीच पहुंचकर किसानों की बात सुनी, उनकी पीड़ा महसूस की और भरोसा दिलाया कि समाजवादी पार्टी ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।

गांव के चौपाल पर जब ग्रामीणों ने अपनी मांगों का 13 बिंदुओं वाला पत्रक नेताओं को सौंपा, तो माहौल और भी गंभीर हो गया। इन मांगों में पांच नामजद ग्रामीणों पर दर्ज FIR की वापसी, आबादी क्षेत्र को अधिग्रहण से बाहर रखना, शमशान घाट और होलिका स्थल की सुरक्षा, मां गंगा तक का रास्ता खुला रखना, मार्केट रेट का चार गुना मुआवजा, बिना पूर्व सूचना जबरिया अधिग्रहण पर रोक, रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता, गैर-मुमकिन घोषित की गई भूमि की बहाली और पहले से वादा किए गए 17 विस्थापित परिवारों को जमीन उपलब्ध कराने जैसी अहम बातें शामिल थीं।

ग्रामीणों ने दो टूक कहा कि यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि पीढ़ियों की जीविका, संस्कृति और अस्तित्व का सवाल है। अखिलेश सिंह और अन्य स्थानीय नेताओं के नेतृत्व में किसानों ने एक स्वर में कहा – “हमें मिटा देंगे, लेकिन हमारी मिट्टी नहीं छीन पाएंगे।”

नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने मंच से ऐलान किया, “यह लड़ाई अब सिर्फ ग्रामीणों की नहीं रही, यह हमारी पार्टी की प्राथमिकता है। चाहे सड़क हो या सदन, हम यह मुद्दा उठाएंगे और न्याय दिलाएंगे।” सांसद वीरेंद्र सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि विकास के नाम पर किसान को उजाड़ना अस्वीकार्य है।

इस मौके पर ईशान मिल्की, डब्लू साहनी, वीरेंद्र साहनी, आस मोहम्मद, सुरेश कुमार, ताजुद्दीन, आफताब अहमद, शमीम मिल्की, नफीस अहमद, औसाफ गुड्डू, मुसाफिर सिंह चौहान, आनंद यादव, आशीष राय, अजित यादव बब्बू, रामेश्वर यादव, अहद, अब्दुल कैसर, नावेद, फतेह, भाईराम साहनी, कन्हैया राव, सुजीत साहनी, रतन साहनी, राजेश साहनी, विद्याधर मास्टर, अखिलेश सिंह, चंद्रप्रकाश मौर्या, विनय मौर्या, गुड्डू, जमील अहमद, संजय यादव, शंकर साहनी समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे, जिनकी उपस्थिति ने इस विरोध को एक जनज्वार में बदल दिया।

मिल्कीपुर की इस बैठक ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन अब गांव की सीमाओं से निकलकर पूरे पूर्वांचल में गूंजने वाला है। किसानों की आवाज, उनकी मांगें और उनका हौसला, इस संघर्ष को लंबा और निर्णायक बनाने के लिए काफी है। सरकार के लिए यह अब सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि जनता के धैर्य और असंतोष की असली परीक्षा बन चुकी है।

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