वाराणसी: श्रावण के पहले सोमवार को उमड़ी भक्तों की भीड़, श्रद्धालुओं पर की गई फुलों की वर्षा

वाराणसी में श्रावण के पहले सोमवार को आस्था का अद्भुत संगम दिखा, जहाँ बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और प्रशासन ने व्यवस्था संभाली।

Mon, 14 Jul 2025 06:19:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: श्रावण मास का प्रथम सोमवार इस बार काशी में आस्था, परंपरा, भक्ति और प्रशासनिक व्यवस्था के अद्भुत समन्वय का प्रतीक बनकर सामने आया। बाबा भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में सोमवार की भोर से ही आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति हर गली, हर मोड़ और हर मंदिर के प्रांगण में की जा सकती थी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रावण के इस पहले सोमवार का शुभारंभ परंपरागत मंगला आरती से हुआ, जिसमें बाबा विश्वनाथ को विधिपूर्वक जगाया गया और नगरवासियों सहित देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने दिव्यता का साक्षात्कार किया।

सुबह 3:30 बजे से ही श्रद्धालु गोदौलिया, मैदागिन, लक्सा, रामापुरा, चेतगंज और अन्य मार्गों से पंक्तिबद्ध होकर मंदिर प्रांगण की ओर बढ़ने लगे। मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शनों के लिए बनाए गए विशेष रूट से गुजरते हुए श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। इस दौरान किसी भी अव्यवस्था से बचने हेतु प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहा। सबसे विशेष दृश्य तब सामने आया जब मंदिर परिसर के बाहर गोदौलिया और मैदागिन की ओर बढ़ते श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई। यह पुष्पवर्षा केवल स्वागत भर नहीं थी, यह श्रद्धालुओं की भक्ति का सम्मान था, जो अनेक राज्यों से सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर बाबा की नगरी में पधारे थे।

इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने वाराणसी के पुलिस आयुक्त श्री मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी श्री सत्येन्द्र कुमार, मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, विशेष कार्याधिकारी श्री पवन प्रकाश पाठक और नायब तहसीलदार श्रीमती मिनी एल शेखर। वरिष्ठ अधिकारियों ने न केवल व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया, बल्कि स्वयं श्रद्धालुओं की सहायता में हाथ बंटाते भी नजर आए।

धाम क्षेत्र में लाखों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्रशासन द्वारा समुचित प्रबंध किए गए थे। पूरे मंदिर परिसर और उसके आसपास जलपान स्टॉल, पेयजल केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा शिविर, महिला सहायता केंद्र, खोया-पाया डेस्क, मोबाइल शौचालय, सफाई व्यवस्था, मार्गदर्शन केंद्र जैसी सुविधाएं तैनात की गई थीं। इन सभी व्यवस्थाओं की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम से पल-पल की स्थिति पर नजर रखी जा रही थी।

मंदिर न्यास द्वारा इस वर्ष दर्शन व्यवस्था को और भी सुगम बनाया गया है। आधुनिक तकनीक से युक्त प्रवेश व्यवस्था, कतार में श्रद्धालुओं के लिए छाया-पंडाल, मोबाइल ऐप से रियल टाइम दर्शन टाइमिंग, जगह-जगह LED डिस्प्ले और स्वयंसेवकों की सेवाएं इस अनुभव को और भी सुखद बना रहीं थीं। गर्भगृह में पूजन-आरती को देखने के लिए अलग-अलग समय-सारिणी तय की गई थी, जिससे दर्शन तीव्र गति से और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सकें।

श्रावण के पहले सोमवार की यह भोर केवल एक धार्मिक परंपरा की पुनरावृत्ति नहीं थी, यह अध्यात्म, भक्ति, अनुशासन और आधुनिक नागरिक प्रबंधन की सामूहिक प्रस्तुति थी। देश के कोने-कोने से आए भक्तों ने अपने साथ श्रद्धा की लंबी यात्राएं तय कर काशी की गलियों में वह अनुभूति प्राप्त की, जो केवल इसी नगरी में संभव है। बाबा विश्वनाथ के साक्षात् दर्शन का सौभाग्य।

धाम क्षेत्र में मौजूद स्वयंसेवकों और पुलिस बलों की सक्रियता उल्लेखनीय रही। सादी वर्दी में तैनात पुलिस कर्मियों ने भीड़ में सजगता से नजर रखी। श्रद्धालुओं को हर मोड़ पर दिशा-सूचक बोर्ड, सूचना कक्ष और पंजीकृत गाइड उपलब्ध कराए गए थे। इस बार बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की गई, जिससे महिला श्रद्धालुओं को विशेष सहायता प्राप्त हो सके।

प्रशासन का यह भी प्रयास रहा कि काशी आने वाले श्रद्धालु ना केवल मंदिर दर्शन करें, बल्कि इस पवित्र नगरी की सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू हो सकें। इसके लिए गंगा घाटों पर विशेष सजावट, लाइट एंड साउंड शो, रुद्राभिषेक यज्ञ, शिव महिमा पर आधारित झांकियों का आयोजन भी किया गया। नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था को लेकर भी विशेष अभियान चलाया गया था, जिससे श्रद्धालुओं को स्वच्छ और व्यवस्थित वातावरण मिले।

श्रावण मास का पहला सोमवार, जो भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, काशी में न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह काशी की जीवंत संस्कृति, सामाजिक समरसता और प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक भी बन गया है। आगामी सोमवारों के लिए प्रशासन और मंदिर न्यास पहले से ही तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है, ताकि हर श्रद्धालु बिना किसी बाधा के बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर अपनी आस्था को पूर्णता प्रदान कर सके।

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