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धरती पर लौटे भारतीय हीरो शुभांशु, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने जताई खुशी

धरती पर लौटे भारतीय हीरो शुभांशु, प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने जताई खुशी

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस से सफलतापूर्वक लौटे, यह भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है और गगनयान मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नई दिल्ली: भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज करते हुए चार दशक बाद मानव अंतरिक्ष मिशन की ओर वापसी की है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) से सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए हैं। उनके इस रोमांचक और गौरवपूर्ण मिशन की सफलता पर देशभर में जश्न का माहौल है। इस मिशन ने न केवल तकनीकी प्रगति का परिचय दिया है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गया है।

शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। वे आईएसएस तक जाने वाले पहले भारतीय बने हैं, और इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्होंने लंबा प्रशिक्षण, जबरदस्त समर्पण और अटूट साहस दिखाया। उनकी इस वापसी के साथ ही भारत ने एक बार फिर मानव अंतरिक्ष उड़ान में वैश्विक उपस्थिति दर्ज की है। यह कदम भारत की बहुप्रतीक्षित 'गगनयान' मानव मिशन परियोजना की दिशा में भी एक ठोस प्रगति माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक मिशन पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, "मैं पूरे देश की तरफ से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से धरती पर लौटे हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में उन्होंने अपनी मेहनत, साहस और नए रास्ते खोलने की भावना से एक अरब लोगों के सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारी अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान योजना 'गगनयान' की ओर एक और बड़ा कदम है।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस मिशन की कामयाबी को भारतीय वैज्ञानिक शक्ति और साहस का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला की अंतरिक्ष से सफल वापसी प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय है। उनके शब्दों में, "यह सफर केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, बल्कि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष आकांक्षाओं का परिचायक है। उन्होंने भारत की सीमाओं को अंतरिक्ष तक फैला दिया है।"

इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर सिर्फ केंद्र ही नहीं, बल्कि राज्य सरकारों और विभिन्न सार्वजनिक हस्तियों ने भी बधाइयों की बौछार की। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुभांशु शुक्ला की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत का गौरव बताया। उन्होंने कहा, "शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर कदम रखकर देश को गौरवांवित किया है। यह क्षण न केवल विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनकर उभरा है।"

भारत की ओर से आखिरी मानव अंतरिक्ष मिशन राकेश शर्मा के नेतृत्व में 1984 में हुआ था, जब उन्होंने सोवियत संघ के सहयोग से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। उसके बाद यह पहला मौका है जब एक भारतीय ने वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष विज्ञान में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संपन्न यह मिशन न केवल तकनीकी रूप से सफल रहा, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष भविष्य को रेखांकित करने वाला कदम भी सिद्ध हुआ है।

इस ऐतिहासिक सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब अंतरिक्ष विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम की यह यात्रा सिर्फ वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह भारत के लिए आत्मविश्वास, नवाचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बन गई है। आने वाले वर्षों में 'गगनयान' के साथ भारत की यह यात्रा और भी रोमांचक व प्रभावशाली होने की उम्मीद है।

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