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मिर्जापुर: मां विंध्यवासिनी मंदिर में खुली दानपेटी, मिली लाखों की धनराशि

मिर्जापुर: मां विंध्यवासिनी मंदिर में खुली दानपेटी, मिली लाखों की धनराशि

मिर्जापुर के विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी मंदिर की दानपेटी से 14.51 लाख रुपये प्राप्त हुए, यह धनराशि श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में श्रद्धापूर्वक दान की गई थी।

विंध्याचल: मां विंध्यवासिनी के दरबार में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था एक बार फिर नजर आई, जब सोमवार को मंदिर परिसर में स्थापित दान पेटिका को खोला गया। यह प्रक्रिया सुबह 11:00 बजे कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नायब तहसीलदार की निगरानी में सम्पन्न हुई। मां पंडा समाज कार्यालय में हुई इस गिनती प्रक्रिया में कुल ₹14,51,030 की धनराशि प्राप्त हुई, जो श्रद्धालुओं की भक्ति और मंदिर के प्रति उनकी गहरी आस्था का जीवंत प्रमाण है।

इस संपूर्ण राशि में ₹14,12,815 के नोट और ₹38,215 के सिक्के शामिल रहे। यह दानराशि मंदिर में नियमित रूप से आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न अवसरों पर श्रद्धाभाव से दान की गई थी, जो कि नवरात्र, पर्व-त्योहारों व सामान्य दर्शन के दौरान मंदिर में रखी दानपेटिका में एकत्र होती है। विंध्याचल धाम की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जहां मां विंध्यवासिनी के चरणों में चढ़ाया गया हर अर्पण भक्तों की आस्था से जुड़ा होता है।

गिनती की प्रक्रिया संपन्न होने के उपरांत, संपूर्ण धनराशि को विंध्य विकास परिषद के पदेन अध्यक्ष एवं जिलाधिकारी के निर्देशानुसार भारतीय स्टेट बैंक की विंध्याचल शाखा के नामित खाते में जमा करा दिया गया। प्रशासनिक पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के तहत इस प्रक्रिया को पूर्णतः विधिपूर्वक सम्पन्न किया गया।

गिनती के समय प्रमुख प्रशासनिक और मंदिर समिति के अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें नायब तहसीलदार नगीना सिंह, अमीन संग्रह सूरज सोनकर, विजय शंकर दुबे, हरिगेंद्र दुबे सहित अन्य कर्मचारी व मंदिर से जुड़े प्रतिनिधि शामिल रहे। इनकी निगरानी और सहभागिता से यह सुनिश्चित हुआ कि संपूर्ण प्रक्रिया शांतिपूर्ण, सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हो।

उल्लेखनीय है कि मां विंध्यवासिनी धाम पूर्वांचल के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पर्वों के दौरान यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि दानपेटिका की गणना को प्रशासनिक स्तर पर न केवल गंभीरता से लिया जाता है, बल्कि हर स्तर पर निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है।

श्रद्धालुओं की यह आस्था न केवल धार्मिक गतिविधियों को गति देती है, बल्कि मंदिर विकास व व्यवस्थापन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मां विंध्यवासिनी का यह दरबार आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा है।

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