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मथुरा: कलेक्ट्रेट में महिला वकीलों के बीच मारपीट, दिनदहाड़े हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा

मथुरा: कलेक्ट्रेट में महिला वकीलों के बीच मारपीट, दिनदहाड़े हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा

मथुरा कलेक्ट्रेट में महिला वकीलों के चैंबर विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जहां दो महिला वकीलों ने सरेआम मारपीट की, तमाशबीनों ने घटना का वीडियो बनाया।

मथुरा: एक बेहद चौंकाने वाला और असामान्य मामला सामने आया है, जिसने जिले की न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। यह घटना गुरुवार को थाना सदर बाजार क्षेत्र अंतर्गत मथुरा कलेक्ट्रेट परिसर में उस वक्त घटित हुई, जब दो महिला वकीलों के बीच अचानक विवाद इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते वह मारपीट में तब्दील हो गया। यह सब कुछ कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार के पास हुआ, जहां दोनों महिला वकीलों ने एक-दूसरे पर न केवल तीखे शब्दों के हमले किए, बल्कि बात हाथापाई, लात-घूंसे और बाल पकड़ने तक जा पहुंची।

गंभीर बात यह रही कि यह पूरा घटनाक्रम दिनदहाड़े दर्जनों लोगों के सामने हुआ और वायरल हो चुके वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि तीन महिलाएं, जिनमें से सभी वकीली परिधान यानी काला कोट पहने हुए थीं, एक-दूसरे को बुरी तरह पीट रही हैं। वीडियो में भीड़ की प्रतिक्रिया भी स्पष्ट सुनाई देती है, जिसमें कई तमाशबीन ‘दे इसमें, दे इसमें’ जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस तरह की भाषा और प्रतिक्रिया दर्शकों की मानसिकता पर भी सवाल खड़े करती है, जो एक न्यायिक परिसर जैसे संवेदनशील स्थान पर अनावश्यक भीड़ इकट्ठा कर तमाशा देखने में व्यस्त रहे।

इस पूरी घटना की पृष्ठभूमि को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक यह विवाद महिला वकीलों के चैंबर को लेकर उपजा बताया जा रहा है। हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि अब तक किसी पक्ष द्वारा नहीं की गई है। मारपीट में एक महिला वकील का समर्थन करती हुई एक अन्य महिला भी वीडियो में दिखाई देती है, जिसकी पहचान फिलहाल सार्वजनिक नहीं हो सकी है। हैरान करने वाली बात यह है कि अभी तक इस घटना को लेकर पुलिस थाने में किसी भी पक्ष द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, जिससे यह आशंका और बढ़ जाती है कि कहीं मामले को आंतरिक समझौते या दबाव में दबाने की कोशिश तो नहीं की जा रही है।

कलेक्ट्रेट परिसर जैसी जगह, जो कि न केवल न्यायिक बल्कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील मानी जाती है, वहां इस प्रकार की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था की गंभीर चूक को उजागर करती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि वकीलों जैसे जिम्मेदार पेशे से जुड़े लोगों के बीच भी आत्मनियंत्रण और गरिमा बनाए रखने की कितनी जरूरत है। इस पूरे प्रकरण ने बार एसोसिएशन, जिला प्रशासन और पुलिस महकमे के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है कि वे न केवल इस मामले की निष्पक्ष जांच कराएं, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।

अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि मथुरा बार एसोसिएशन इस विवाद पर क्या रुख अपनाता है और प्रशासनिक स्तर पर इस कृत्य को लेकर क्या कार्रवाई की जाती है। कहीं न कहीं यह घटना एक चेतावनी भी है कि न्याय और विधि व्यवस्था की बुनियाद यदि खुद उसके रक्षक ही हिला देंगे, तो आम जनता में कानून के प्रति विश्वास कैसे कायम रहेगा।

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