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वाराणसी: रामनगर/ भूमि सीमांकन विवाद, पुलिस की मौजूदगी में टला टकराव

वाराणसी: रामनगर/ भूमि सीमांकन विवाद, पुलिस की मौजूदगी में टला टकराव

रामनगर में भूमि सीमांकन को लेकर विवाद गहराया, प्रहलाद शर्मा द्वारा निर्माण कार्य शुरू करने पर पड़ोसी की आपत्ति के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और टकराव टाला।

वाराणसी: रामनगर थाना क्षेत्र के मच्छरहट्टा वार्ड अंतर्गत साहित्य नाका मोड़ इमामबाड़ा के पास रविवार को एक भूमि विवाद उस समय तूल पकड़ता दिखा जब स्थानीय निवासी प्रहलाद शर्मा, जो अपने आराजी संख्या 418 के संक्रमणीय भूमिधर हैं, अपनी निजी भूमि पर बाउंड्री वॉल निर्माण का कार्य प्रारंभ कर रहे थे। प्रहलाद शर्मा की यह जमीन उनके आवास से ठीक पूरब दिशा में स्थित है और लंबे समय से खाली पड़ी थी। उन्होंने जब इस भूखंड पर सीमांकन कर घेराबंदी शुरू की, तभी समीप की आराजी संख्या 419 को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया।

आराजी संख्या 419, जो राजस्व अभिलेख में 'बंजर भूमि' के रूप में दर्ज है और जिसका सीमांकन नगर निगम वाराणसी द्वारा पूर्व में कराया जा चुका है, को लेकर कुछ स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई। इन लोगों का कहना था कि वह भूमि उनकी है, जबकि राजस्व रिकॉर्ड में ऐसा कोई स्पष्ट स्वामित्व नहीं दर्शाया गया है। आरोप है कि इन्हीं स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर प्रहलाद शर्मा के निर्माण कार्य को रोकने की कोशिश की और माहौल तनावपूर्ण होता चला गया।

घटना की सूचना मिलते ही रामनगर थाना प्रभारी निरीक्षक दुर्गा सिंह, कस्बा प्रभारी जयप्रकाश सिंह, उप निरीक्षक सुजाता चटर्जी और भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। पुलिस ने तत्परता और सूझबूझ से हालात को संभालते हुए किसी भी प्रकार की झड़प या हिंसा को टाल दिया। विवाद की गंभीरता को देखते हुए राजस्व विभाग के लेखपाल और कानूनगो को भी तत्काल बुलाया गया, जो मौके पर पहुंचकर जमीन की स्थिति और सीमांकन की जांच में जुट गए।

घटना को लेकर जब रामनगर द लॉयर्स एसोसिएशन के महामंत्री अरुण जायसवाल से संवाददाता ने बात की तो उन्होंने बताया कि प्रहलाद शर्मा पूरी तरह से वैध तरीके से अपनी जमीन की घेराबंदी कर रहे थे, जिसे कुछ पड़ोसियों द्वारा जानबूझकर बाधित किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जिस भूमि को लेकर विवाद हुआ है, वह बंजर श्रेणी में आती है और उस पर किसी का निजी स्वामित्व होने का कोई वैध दस्तावेज अभी तक सामने नहीं आया है।

अरुण जायसवाल ने प्रशासन से मांग की कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए स्थायी समाधान निकालना आवश्यक है, ताकि जिन लोगों के पास वैध भूमि अधिकार हैं, उन्हें निर्माण कार्य में किसी तरह की परेशानी न हो। उन्होंने पुलिस और राजस्व अधिकारियों के मौके पर समय से पहुंचने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आभार भी जताया।

विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच कर रहा है। अधिकारियों ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राजस्व विभाग की जांच में वास्तविक स्थिति क्या सामने आती है और उस पर क्या कानूनी कदम उठाए जाते हैं।

फिलहाल क्षेत्र में शांति है, लेकिन घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सीमांकन के बावजूद सार्वजनिक या बंजर भूमि पर स्वामित्व के दावे किस हद तक सामुदायिक तनाव का कारण बन सकते हैं, और इसके समाधान के लिए प्रशासन को कितनी पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई के साथ आगे आना होगा।

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