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वाराणसी: रामनगर/ बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, तालाब में तब्दील हुए इलाके

वाराणसी: रामनगर/ बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, तालाब में तब्दील हुए इलाके

वाराणसी के रामनगर में बारिश के बाद जलभराव से हालात बेकाबू, नगर निगम की लापरवाही के कारण गलियों में गंदा पानी जमा, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वाराणसी: रामनगर क्षेत्र में हुई हालिया बारिश ने नगर निगम की व्यवस्था की ऐसी पोल खोली है, जिसे अब दबाया नहीं जा सकता। नगर निगम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा सीधे तौर पर आमजन को भुगतना पड़ रहा है। जिन गलियों से श्रद्धा की गंगा बहनी चाहिए थी, वहाँ अब नालों की गंध और गंदे पानी की झील फैली हुई है। यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही से उपजा संकट है।

रामनगर की संकरी गलियों, मोहल्लों, चौराहों और बाजारों में इन दिनों हालात यह हैं कि लोग घरों से निकलने में डरते हैं। कहीं बिजली का करंट न दौड़ जाए, कहीं गंदा पानी बीमार न कर दे। बारिश के बाद गलियों में भरा पानी नालों की सफाई न होने का नतीजा है, जिसकी शिकायत वर्षों से की जा रही है, पर हर बार आश्वासन की चादर ओढ़ाकर निगम प्रशासन सो जाता है।

स्थानीय निवासी रोहित पटेल कहते हैं, "पिछले पांच साल से यही हालत है, पर हर बार चुनाव में नेता आते हैं, वादा करके चले जाते हैं। नाली की सफाई हो, जलनिकासी की व्यवस्था हो, या फिर सड़क मरम्मत, हर चीज़ अधूरी है।" वहीं सुमन देवी, जिनका घर रामपुर में है, बताती हैं, "पानी घर में घुस गया, बच्चों की किताबें खराब हो गईं, किचन तक गंदा पानी पहुंच गया। यह बरसात नहीं, सज़ा है आम आदमी के लिए।"

पानी भराव के कारण कई जगह लोगों के घरों के शौचालय और सीवर का पानी उफनकर बाहर आ रहा है। बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। मलेरिया, डेंगू, स्किन इंफेक्शन जैसी बीमारियों की आहट लोगों को डराने लगी है, लेकिन नगर निगम के अधिकारी फ़ाइलों में बंद नोटिंग से बाहर नहीं आना चाहते।

रामनगर क्षेत्र से जुड़े कई पार्षदों और नेताओं से लोगों ने संपर्क किया, लेकिन किसी ने मौके पर पहुंचकर हालात नहीं देखे। आश्वासन की चाय पिलाकर वे गायब हो गए। इलाके के युवाओं ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके प्रशासन को आईना दिखाया है।

निरंजन सिंह, एक स्थानीय युवा कार्यकर्ता, कहते हैं, "यह सिर्फ एक दिन की बारिश थी, और रामनगर पूरी तरह जलमग्न हो गया। कल अगर कई दिनों तक लगातार मूसलधार बारिश हुई, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। यह नगर निगम की घोर लापरवाही का ही नतीजा है।"

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि "सफाई कराई जा रही है, और जल निकासी की योजना पर काम चल रहा है," लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है। जहां एक तरफ कागजों पर करोड़ों की योजनाएं दिखाई देती हैं, वहीं ज़मीन पर गड्ढे, कचरे के ढेर और बदबूदार नालियां नजर आती हैं।

कई बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी रामनगर को ऐसी दुर्दशा में नहीं देखा था। रामनगर जो अपने ऐतिहासिक किले, रामलीला और सांस्कृतिक गौरव के लिए जाना जाता है, आज पानी, गंदगी और बद- इंतज़ामी के कारण शर्मसार है।

यह खबर सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि रामनगर की पीड़ा का दस्तावेज़ है। यह उन लाखों लोगों की आवाज़ है, जो उम्मीद करते हैं कि प्रशासन इस खबर को पढ़े, समझे और अब बिना देर किए कार्रवाई करे। यदि नगर निगम और जनप्रतिनिधि अब भी नहीं जागे, तो अगली बार जनता जवाब देने से पीछे नहीं हटेगी।

रामनगर में बारिश नहीं, नगर निगम की नाकामी बरसी है। यह खबर प्रशासन के दरवाज़े पर दस्तक नहीं, अब एक करारा तमाचा है।

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